भारतीय महीने - लेख - यश वट

भारतीय महीने - लेख - यश वट | Hindi Months Name  Name of Hindu Months, Hindi Calendar. हिंदी कैलेंडर में महीनों के नाम
क्या हमारी नई पीढ़ी जानती है हमारे भारतीय महीने?

"संग की सहेली है सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बुंदिया है सावन का मेरा झूलणा"

इस मीठे लोकगीत की तरह आषाढ़ से अँगड़ाई लेकर प्रकृति सावन माह की तरफ़ चमकीली आँखों से देखती हैं और सूखी पड़ी धरती को हरियाली, भक्ति, उम्मीद और अलौकिक शृंगार से सजा देती है। 

सच ही है जब चाँदी की बूँद सी नन्ही नन्ही वर्षा की बूँदे धरती पर स्पर्श करने से पहले पेड़ों की पत्तियों से फिसल कर आहिस्ते से ज़मीन पर गिरते ही सोंधी सी मिट्टी की सुगंध सारे वातावरण में फैला देती है, जब कोयल की सुमधुर आवाज़, नृत्य करते मयूर और आँगन-ओटले में झूला डालें नवयुवतियाँ, सहेलियाँ हवा में हिलोरे खाती है और गृहणियाँ, माताएँ, बहने पवित्रता से शिव भक्ति में लीन हो कर ढोलक और मंजीरे की थाप पर अपने इष्ट के लोकगीत से पूरा मोहल्ला गुंजा देती है, जब सड़कों, गलियों और राजमार्गों पर भगवा ओढ़ काँवरिया  बोल बम के नारों से राहगीरों का सत्कार करते है तो सावन धरती पर स्वर्ग सा ही लगता है। 

सावन का भारतीय संस्कृति और ख़ासकर सनातन हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व है और यह बात सभी जानते हैं मगर क्या हमने कभी यह प्रश्न किया है की बचपन से जुलाई-अगस्त-सितंबर की आड़ में हमारी पीढ़ी आषाढ़-सावन-भादो को कभी जान ही नहीं पाई। 

यह अंग्रेजी कैलेंडर से कोई द्वेष या खटास नहीं है, जग ज़ाहिर है की अंग्रेजी पद्धति आज एक वैश्विक ज़रूरत है और दुनिया के साथ चलने के लिए अंग्रेजी पद्धति को अपनाना ही होगा और सहर्ष अपनाना होगा मगर इस दौड़ में भारतीय संस्कृति और उसके विशिष्ट आयामों को हाशिए पर ले आना भी तो ठीक नहीं है। 

भारतीय माह कौन-से हैं और कब आते हैं?

हिंदू भारतीय कैलेंडर लूनीसोलर कैलेंडर है (लूनीसोलर वह पंचांग होते हैं जिसकी तिथियाँ चंद्रमा की कला और सौर वर्ष का समय भी दर्शाती है)।
हिंदू कैलेंडर की शुरुआत चैत्र माह से होता है जो कि मार्च-अप्रैल महीने में आता है चैत्र मास की शुरुआत ही हिंदू नववर्ष कहलाता है।

वैशाख दूसरा माह होता है जिसमें बुद्ध पूर्णिमा, अक्षय तृतीया और बैसाखी ( पंजाबी नव वर्ष ) जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं, साथ ही ग्रीष्म फ़सल की शुरुआत होने के कारण वैशाख कृषि महत्व का भी माह है। वैशाख अप्रैल-मई के महीने में पड़ता है।

ज्येष्ठ (मई-जून) तीसरा माह है जिसमें कई व्रत, उपवास एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।

आषाढ़ (जून-जुलाई) चौथा माह है, गुरु पूर्णिमा, देवशयनी एकादशी, चातुर्मास, जगन्नाथ रथ यात्रा आदि ख़ास त्यौहारों का आयोजन इस माह की ख़ास बात है। प्रख्यात हिंदी नाटककार मोहन राकेश का प्रसिद्ध नाटक "आषाढ़ का एक दिन" भी आषाढ़ माह को केंद्र में रखकर रचा हुआ है।

श्रावण मास हिंदू कैलेंडर का पाँचवा माह है। भगवान शिव का पसंदीदा, आध्यात्मिक विकास, उपवास, तपस्या, दान और दया के कार्य को प्रोत्साहित करता है। यह माह अपने आगमन के साथ धरती और प्रकृति को अपने संपूर्ण रूप में प्रदर्शित करता है। 

भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) छठा माह है, इसी माह में अमूमन वर्षा ऋतु की समाप्ति होती है। गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, पितृ पक्ष और श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार भाद्रपद में ही आते हैं। जनमानस और लोक अंचल में भाद्रपद को भादो भी कहते हैं।

अश्विन माह सातवाँ माह है जो की सितंबर-अक्टूबर में आता है। इस माह में शरद ऋतु का आरंभ, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं। 

कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) आठवाँ माह है। दिवाली, कार्तिक पूर्णिमा, करवा चौथ, भाई दूज जैसे कई महत्वपूर्ण त्यौहार के साथ आंचलिक, लोक व सांस्कृतिक आयोजन भी बहुतायत में होते हैं, जैसे उज्जैन का प्रसिद्ध कार्तिक मेला, पूर्वांचल का प्रसिद्ध छठ पूजा भी कार्तिक मास में ही आता है।

मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) नौंवा माह है जिसमें विष्णु पूजा, तुलसी पूजा, गंगा स्नान, अन्नपूर्णा जयंती जैसे तीज त्यौहार मनाए जाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर का अंत भी मार्गशीर्ष में ही होता है।

पौष (दिसंबर-जनवरी) दसवाँ माह है जो शीत ऋतु के दौरान पड़ता है, मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, लोहड़ी जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार के साथ अंग्रेजी नव वर्ष भी इसी माह के साथ आरंभ होता है। 

माघ (जनवरी-फ़रवरी) ग्यारहवाँ माह है, जिसमें माघ का गंगा स्नान, मौनी अमावस्या, भीष्म पंचक जैसे व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं। 

फाल्गुन (फ़रवरी-मार्च) माह हिंदू कैलेंडर का बारहवाँ और आख़िरी माह है जो वसंत ऋतु के दौरान पड़ता है। फाल्गुन में धरती सुनहरी होकर खिलने लगती हैं। नए फुल, कोंपल, फल एवं फ़सल खिलने लगती है। प्रकृति, संस्कृति और धर्म सब कुछ रंगों से सज जाते है। होली जैसा रंगीला और उमंग भरा त्यौहार फाल्गुन का ही हिस्सा है, वन और बाग टेसू के फूलों से चटख लाल दहकने लगते हैं। शिवरात्रि, वसंत पंचमी जैसे धार्मिक महत्व के त्यौहार भी फाल्गुन माह का ही हिस्सा है। जनजाति समुदाय ख़ासकर भील जनजाति का विश्व प्रसिद्ध भगोरिया उत्सव भी फाल्गुन माह में ही बड़े जोश और उत्साह से मनाया जाता है। आम बोलचाल में फाल्गुन को फाग भी कहा जाता है।

यश वट - उज्जैन (मध्यप्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos