रक्षाबंधन पर निबंध | Raksha Bandhan Essay in Hindi
शुक्रवार, अगस्त 16, 2024
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे 'राखी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और स्नेह की ज़िम्मेदारी लेते हैं।
रक्षाबंधन की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएँ प्रचलित हैं, जो इस पर्व के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। एक प्रमुख कथा महाभारत काल से जुड़ी है, जब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की उँगली से बहते रक्त को रोकने के लिए अपने आँचल का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उँगली पर बाँध दिया था। इस घटना से प्रभावित होकर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को यह वचन दिया कि वे उसकी हर संकट से रक्षा करेंगे। इस वचन को निभाते हुए उन्होंने द्रौपदी की चीर-हरण से रक्षा की थी।
एक अन्य कथा रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूँ से जुड़ी है। चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने अपनी रक्षा के लिए हुमायूँ को राखी भेजी थी। इस राखी को पाकर हुमायूँ ने अपनी सारी सैनिक ताक़त चित्तौड़ की रक्षा में झोंक दी थी। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राखी का धागा न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मज़बूती प्रदान करता है, बल्कि यह जाति, धर्म और संप्रदाय की सीमाओं को भी तोड़ सकता है।
रक्षाबंधन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। इस पर्व का उद्देश्य समाज में भाईचारे, प्रेम और एकता को बढ़ावा देना है। यह पर्व भारतीय समाज की उस मूल भावना को दर्शाता है जिसमें परिवार और रिश्तों को सर्वोपरि माना जाता है।
रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन का रिश्ता नई ऊँचाइयों पर पहुँचता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं, उनके मंगल की कामना करती हैं, और बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मज़बूती प्रदान करता है, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के बीच भी आपसी प्रेम और स्नेह को बढ़ाता है।
रक्षाबंधन के पर्व को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष तैयारियाँ करती हैं। वे पहले से ही राखियों की खरीदारी करती हैं, मिठाइयाँ बनाती हैं, और भाई के लिए उपहार चुनती हैं। भाइयों के लिए भी यह दिन ख़ास होता है; वे अपनी बहनों के लिए उपहार, मिठाइयाँ, और नई पोशाकें लाते हैं।
रक्षाबंधन के दिन प्रातःकाल स्नान आदि करने के बाद बहनें पूजा की थाली सजाती हैं जिसमें राखी, चावल, दीया, और मिठाई होती है। इसके बाद वे अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं, उनके माथे पर तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हुए उन्हें उपहार स्वरूप वस्त्र, आभूषण या धन देते हैं।
समय के साथ रक्षाबंधन के स्वरूप में भी बदलाव आया है। पहले जहाँ राखी केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बाँधी जाती थी, वहीं अब यह एक फैशन स्टेटमेंट बन गई है। बाज़ार में विभिन्न प्रकार की राखियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें पारंपरिक धागों से लेकर सोने और चाँदी की राखियाँ भी शामिल हैं। इसके साथ ही, अब बहनें भी भाइयों को उपहार देने लगी हैं, जो इस पर्व को और भी ख़ास बनाता है।
इसके अलावा, आजकल रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के बीच का पर्व नहीं रह गया है। अब यह पर्व विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा भी मनाया जाने लगा है, जो समाज के कमज़ोर वर्गों की रक्षा के लिए कार्यरत हैं। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि रक्षाबंधन का महत्व समाज के हर वर्ग में है और यह पर्व प्रेम, स्नेह और भाईचारे का प्रतीक है।
रक्षाबंधन का पर्व हमें हमारे रिश्तों की महत्ता को समझने और उन्हें सहेजने की प्रेरणा देता है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है जो प्रेम, विश्वास, और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है। रक्षाबंधन का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में रिश्तों का महत्व कितना अधिक है और इन्हें सहेजने की ज़िम्मेदारी हमारी ही है।
रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व पर हमें अपने भाई-बहन के साथ-साथ समाज के सभी लोगों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए। इस पर्व की सार्थकता तभी पूर्ण होगी जब हम अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे।
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