अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवा' - शहडोल (मध्य प्रदेश)
युवा आह्वान गीत - ताटंक छंद - अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवा'
गुरुवार, अगस्त 15, 2024
देश की रक्षा की ख़ातिर मैं, युवा जगाने आया हूॅं।
राष्ट्रभक्ति का अब मैं सबको, बोध कराने आया हूॅं॥
कलमकार बन फ़र्ज़ निभाता, मैं अब वीर जवानों का।
झोपड़ियों के अंदर बसते, दर्द गाऊँ किसानों का॥
वीरों की इस धरती को मैं, यहाँ सजाने आया हूँ।
देश की रक्षा के ख़ातिर मैं, युवा जगाने आया हूॅं॥
गाँवों में भी देखो कैसी, पाठ पढ़ाई जाती है।
इन ग़रीबों के मन में सिर्फ़, उम्मीद जगाई जाती है॥
बस आशाओं से इनकी घर, कभी नहीं चल सकती है।
मुफ़लिसी ग़रीबों की यारों, उम्मीद कुचल सकती है॥
युवा साथियों के सीने में, शमा जलाने आया हूॅं।
राष्ट्रभक्ति का अब मैं सबको, बोध कराने आया हूॅं॥
प्रेरित होते हैं सेना भी, देशभक्ति के नारों से।
हँसते हुए वो खेल जाते, धधक रहे अंगारों से॥
कभी मौत से लड़ने में भी, ज़रा नहीं घबराते हैं।
अपने जान की बाजी लगा, देश को वो बचाते हैं॥
देश के सिपाहियों का, मैं त्याग दिखाने आया हूॅं।
देश की रक्षा के ख़ातिर मैं, युवा जगाने आया हूॅं॥
कभी प्रेम का अहसास उसे, भी जीवन में होता है।
जो सीमाओं पर जाकर, अपना सब कुछ खोता है॥
दंगे लड़ाई और विद्रोह, दिखते क्यों अख़बारों में।
जानें यहाँ क्या बस गया है, लोगों के किरदारों में॥
अपनी गीत से देश की मैं, चीख़ सुनाने आया हूॅं।
देश की रक्षा के ख़ातिर मैं, युवा जगाने आया हूॅं॥
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