उजला उजला कहना - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

उजला उजला कहना - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Ujla Ujla Kehna - Hemant Kumar Sharma
थोड़ी देर ठहर कर,
पुराने कपड़े पहर कर।
उजला उजला कहना,
अँधेरे से सहम कर।

यही जीवन की 
अन्दुरूनी बातें।
मित्रों की संगठित घातें।
अकेलेपन की रातें,
और स्मरण अपनों की सौग़ातें।
जीना तो होगा सहन कर।

बेहतर की खोज में,
पास है वह उपेक्षित।
और फिर मिला भी कहाँ,
जैसा था लक्षित।
मन को अब नहीं कुछ अपेक्षित।
बची काटनी सब दहन कर।

उजला उजला कहना,
अँधेरे से सहम कर।


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