आशीष सिंह - गोपालगंज (बिहार)
जंगल का दृश्य - कविता - आशीष सिंह
बुधवार, अक्टूबर 09, 2024
ये लहरें नदी की, पावस की फुहार,
ये है कानन का तरुवर, यहाँ शीतल बयार।
यहाँ तितलियों का डेरा, फूल खिलते हज़ार,
यहाँ चिड़ियों की चह-चह, यहाँ कोटर हज़ार।
ये है जंगल का दृश्य, यहाँ जीवों की भरमार,
यहाँ आते है मानव, करने अपना शिकार।
यहाँ कटते हैं जंगल, और होता व्यापार,
इंसानों ने जंगल को किया तार-तार।
यहाँ मोरों का नृत्य, यहाँ हिरण की चाल,
यहाँ गाती हैं कोयल, बैठी पेड़ो की डाल।
ये लहरे नदी की, पावस की फुहार,
ये है जंगल का दृश्य , यहाँ जीव भरमार।
यहाँ बहती हैं नदियाँ, और लहरों का शोर,
यहाँ रातों को आते हैं, चंदा चकोर।
यहाँ रोता चकोर, कर देता है भोर,
आती सूरज की किरणे, कर देती अँजोर।
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