रास्ता कोई भी हो - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शनिवार, नवंबर 23, 2024
रास्ता कोई भी हो, बस संकल्प लक्ष्य दृढ़ चाहिए।
विश्वास अन्तर्मन हो अटल, आश्वस्त श्रम फल चाहिए।
निर्मल सदा श्रमजीवी चरित, रण संयम महारथ चाहिए।
सुदृढ़ मनोबल सत्पथ निरत, धीरज साहसी हठ चाहिए।
उद्देश्य से श्रम परिपूरित हो, सुमति विवेक सारथ चाहिए।
हो उल्लास हियतल तीव्रतम, इच्छाशक्ति प्रबलतम चाहिए।
रास्ता कोई भी क्यों न हो, बस अभिरुचि गहनतम चाहिए।
उत्थान तन मन चाहत प्रखर ऊर्जावान कर्मरथ चाहिए।
असंभव समझो हो सुगम पथ, आसियाँ सुसज्जित चाहिए।
अनजान राहें दुर्गम कठिन, बाधित सुगम बनाना चाहिए।
निर्णीत हो निर्भीत पौरुष परमार्थ सिद्ध श्रम बस चाहिए।
करुणार्द्र हिय समुदार चिन्तन देशार्थ ध्येय रखना चाहिए।
मज़बूत हो नित लक्ष्य जन, सामर्थ्यवान चिन्तन चाहिए।
जज़्बा निरत जज़्बातों विरत, कर्मयोग अविरत चाहिए।
भक्ति प्रीति समरस ईश्वरीय विश्वास दृढ़ सफलता चाहिए।
रास्ते मिलें जबरन चाहतें, श्रम निष्फल समझना चाहिए।
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