राम-राम - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
शनिवार, नवंबर 23, 2024
इंसानियत के नाते मैं हाथ जोड़ता हूँ,
इंसान ग़ैर से भी 'राम-राम' करता हैं।
मेरी पेशानी पे कोई हसीं हर्फ़ लिखा हैं,
बस उसी के नाम कवि ग़ज़ल रचता हैं।
वो सोचता हैं मास्टर हूँ, डर जाऊँगा,
कैसे बताऊँ मुझमें एक राजा रहता हैं।
बड़ी ज़िल्लत कमाई मैंने उस घर में,
जिनके बेटे को कवि सीख कहता है।
सुना था पत्नी के गाँव इज़्ज़त होती हैं,
कर्मवीर इस पनघट पर प्यासा रहता हैं।
शिक्षा किसी को न दो, गर कोई कहें,
हाथी उड़ता हैं तो कहो, हाँ, उड़ता है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर