कर्कश मत बोलो - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

कर्कश मत बोलो - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Muktak - Karkash Mat Bolo
भले कहीं कोई पथ भूला पर कर्कश मत बोलो,
राम लखन सीता माता के जीवन से निज को तोलो।
मृदु भाषा के वचनामृत से तुम जीतो दिल पर का–
हरो 'अंशुमाली' दु:ख सारा अपना कोष स्वत: खोलो॥

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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