मायूस - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मंगलवार, दिसंबर 10, 2024
गिरी अचानक आपदा, भाग्य रहे हम कोस।
धरे हाथ पर हाथ हम, करते बस अफ़सोस॥
मिले राह गुमराह को, नई सीख हर हार।
बने धीर साहस सबल, मिले धार पतवार॥
आती हैं जीवन विपद, मति विवेक हों पार।
बने नहीं मायूस हम, वरना होगी हार॥
तनिक विफलता क्या मिली, होते हम मायूस।
तजे लक्ष्य सत्कर्म पथ, बैठे बन मनहूस॥
नई राह दे विफलता, चढ़े लक्ष्य सोपान।
रखो आत्मविश्वास मन, मिले सफलता मान॥
करो प्रतीक्षा समय की, सक्रिय हों सत्कर्म।
मिले सफलता सत्य पथ, समझें पौरुष मर्म॥
सुख दुख बाधा ज़िंदगी, नीति रीति संसार।
कीचड़ में खिलते कमल, महके प्रकृति बहार॥
बिना क्लेश ख़ुशियाँ कहाँ, जीवन का आनंद।
भटके पथ मायूस से, कहाँ खिले मकरंद॥
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