नया साल हो मांगलिक - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

नया साल हो मांगलिक - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | New Year Dohe - Naya Saal Ho Maanglik. नए साल पर दोहे, नववर्ष दोहे
नया साल हो मांगलिक, नई सोच नव धेय।
राष्ट्रभक्ति नव शौर्य बल, पौरुष सत्पथ गेय॥

भूल सकल अवसाद को, घटना घटित अतीत।
नव उमंग नव चिन्तना, बढ़ो प्रगति नव गीत॥

उद्यम से जो सफलता, भरे हृदय उल्लास।
महकें ख़ुशियाँ ज़िंदगी, सेवा राष्ट्र विकास॥

योगदान उन्नति वतन, हो जीवन का मंत्र।
शान्ति प्रेम सद्भावना, चले सुशासन तंत्र॥

लखि अतीत दर्पण समझ, वर्तमान हो बोध।
खुले मार्ग मंगल सुखद, मिटे विविध अवरोध॥

परहित पौरुष सफलता, समझें जीवन अर्थ।
भौतिक सुख सुविधा क्षणिक, नाशवान सब व्यर्थ॥

कर्मवीर होता वही, जो जीए देशार्थ।
अनुगामी हो न्याय पथ, नव भविष्य रचनार्थ॥

नर नारी समतुल्य हो, तभी समुन्नति देश।
दीन धनी अन्तर मिटे, शिक्षित हो परिवेश॥

आलोकित हो बालपन, शिक्षा ज्ञानालोक।
तब भविष्य नव सर्जना, मिटे दीनता शोक॥

अभिनंदन नववर्ष का, स्वागत नव उत्थान।
तन मन श्रम अर्पित वतन, बढ़े तिरंगा शान॥

मंगलमय नव वर्ष हो, मंगलमय हो सोच।
मिटे घृणा दुर्भावना, जाति धर्म संकोच॥

प्रेम शान्ति समरस वतन, भारत जन मन एक।
उद्योगी जन गण सुपथ, नया वर्ष अभिषेक॥


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