राम बसे है सबके मन में - गीत - अजय कुमार 'अजेय'

राम बसे है सबके मन में - गीत - अजय कुमार 'अजेय' | Shri Ram Geet - Ram Base Hai Sabke Man Mein | भगवान राम पर कविता, Hindi Poem On Shree Rama
तेरे तन में और मेरे तन में।
राम बसे है सबके मन में॥
जल में, थल में और गगन में,
अंतरिक्ष में, अग्नि पवन में,
औषधि-वनस्पति, वन-उपवन में,
सकल धरा के जड़ चेतन में।
राम बसे हैं सबके मन में...

ब्राह्मण के उपदेश वचन में,
क्षत्रिय के द्वारा रण में,
वैश्य जनों के धन में
और शूद्र के चरणों में।
राम बसे हैं सबके मन में...

राम राष्ट्र निर्माण सृजन में,
नगर गाँव में और भवन में,
जीव मात्र के तन में मन में,
जनसेवक के अंतरमन में।
राम बसे हैं सबके मन में...

राम ऊर्जा सभी दिशा में,
राम चेतना सकल प्रवाह में,
भावविह्वल भक्त सदन में,
राम विराजे भव्य भवन में।
राम बसे हैं सबके मन में...

राम विनय है नहीं विवादित,
राम समय है और समाधित,
रामराज्य निर्माण सदन में,
हर्षित मुनि नर नार भवन में।
राम बसे है सबके मन में...

राम भविष्य और धरोहर,
आर्यावर्त उत्कर्ष मनोहर,
कालखंड गुज़रा चाहत में,
नवप्रभात गीत स्वागत में।

तेरे तन में और मेरे तन में।
राम बसे है सबके मन में॥


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