राम बसे है सबके मन में - गीत - अजय कुमार 'अजेय'
शनिवार, दिसंबर 28, 2024
तेरे तन में और मेरे तन में।
राम बसे है सबके मन में॥
जल में, थल में और गगन में,
अंतरिक्ष में, अग्नि पवन में,
औषधि-वनस्पति, वन-उपवन में,
सकल धरा के जड़ चेतन में।
राम बसे हैं सबके मन में...
ब्राह्मण के उपदेश वचन में,
क्षत्रिय के द्वारा रण में,
वैश्य जनों के धन में
और शूद्र के चरणों में।
राम बसे हैं सबके मन में...
राम राष्ट्र निर्माण सृजन में,
नगर गाँव में और भवन में,
जीव मात्र के तन में मन में,
जनसेवक के अंतरमन में।
राम बसे हैं सबके मन में...
राम ऊर्जा सभी दिशा में,
राम चेतना सकल प्रवाह में,
भावविह्वल भक्त सदन में,
राम विराजे भव्य भवन में।
राम बसे हैं सबके मन में...
राम विनय है नहीं विवादित,
राम समय है और समाधित,
रामराज्य निर्माण सदन में,
हर्षित मुनि नर नार भवन में।
राम बसे है सबके मन में...
राम भविष्य और धरोहर,
आर्यावर्त उत्कर्ष मनोहर,
कालखंड गुज़रा चाहत में,
नवप्रभात गीत स्वागत में।
तेरे तन में और मेरे तन में।
राम बसे है सबके मन में॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर