ममता गुप्ता 'नाज' - उतरौला, बलरामपुर (उत्तर प्रदेश)
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई - ग़ज़ल - ममता गुप्ता 'नाज'
बुधवार, दिसंबर 11, 2024
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई,
दिल में बसी थी तेरे जो वो हीर क्या हुई।
लेने लगे हैं काम ज़ुबाँ से वो आजकल,
उनकी निगाहे नाज़ की शमशीर क्या हुई।
दीवार बन के जो थी खड़ी अपने दरमियाँ,
रस्मों रवायतों की वो ज़ंजीर क्या हुई।
नज़रें चुरा रहे हो मुहब्बत से किस लिए,
आँखों में जो वफ़ा की थी तहरीर क्या हुई।
रहने लगे हो साए से भी तुम मेरे परे,
कल तक भरोसे की थी जो तक़रीर क्या हुई।
अब तक लुटा रहे थे वफ़ा के जो नाम पर,
दिल मे भरी वो प्यार की जागीर क्या हुई।
जो मेरे साथ बन के मुहाफ़िज़ रही सदा,
अब तेरी उन दुआओं की तासीर क्या हुई।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर