आत्म विश्लेषण - कविता - बिंदेश कुमार झा
शुक्रवार, दिसंबर 06, 2024
आसमान से पूछी गहराई,
सोए समुद्र से उसकी लंबाई।
तारों से उनकी गिनती,
सूरज से उसकी परछाई।
मिला जवाब तब मुझे,
जब मैंने अपनी चेतना जगाई।
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