अनिल पुरबा 'अहमक' - नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
चक्रव्यूह - कविता - अनिल पुरबा 'अहमक'
शनिवार, दिसंबर 14, 2024
रास्तों में कई सवाल मिले,
कोई पुछे कब,
कोई पुछे कौन,
कोई पुछे कैसे,
कोई पुछे कहॉं...
इन सवालों के चक्रव्यूह में फँसा मैं,
कभी जयद्रतों का शस्त्र,
कभी द्रोणाचार्यों का अस्त्र,
कभी अश्वत्थामा का वार,
कभी भीष्म का तिरस्कार...
इन सवालों के नाक पर,
रखा कई लोगों का अहंकार,
अपने बेगानों का उपकार,
हमारे वजूद में उनका हिस्सा,
आधा-अधूरा अजब क़िस्सा...
कुछ सवालों में है इतिहास,
नोटबुक में रखा सुखा गुलाब,
मुझे भूल जाओ का जवाब,
ज़रूरतों का खाली बटुआ,
शुन्यता का विशाल कुँआ...
कुछ सवालों में है गंभीरता,
मुल्यों कि नितांत समीक्षा,
इमान कि कटिबद्ध परीक्षा,
रिश्तों में अटूट विश्वास,
संवेदनाओं का जीवंत प्रयास...
सवालों के जवाब सुन लो,
कोई जब पुछे कब,
युगों से स्थापित त्रिशंकु,
कोई जब पुछे कौन,
हाड़ मास में अदृश्य आत्मा,
कोई जब पुछे कैसे,
वक्त के पन्नों पर बहता अनिल,
कोई जब पुछे कहाँ,
शुणयता से फिर निरंतरता तक...
इन्हीं सवालों के चक्रव्यूह में फँसा,
मेरे जैसा अभिमन्यु क्या जवाब दे?
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर