जाति की जय - कविता - गोलेन्द्र पटेल

जाति की जय - कविता - गोलेन्द्र पटेल | Hindi Kavita - Jaati Ki Jai. Poem On Caste. जाति पर कविता
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर सिर्फ़ दलितों के नहीं,
पूरे देश के नायक हैं
वे उस गीत के गायक हैं

जिसमें नेह व न्याय की लय है
भूख और भाषा की गति है, मनुष्यता के मोड़ पर यति है
उपेक्षित जाति की जय है

क्या लोकतंत्र का आख़िरी आदमी सड़क पर निर्भय है?
जहाँ एक दक्खिनी व्यक्ति कह रहा है
“खेत और घर के सड़क पर होने से
उनकी क़ीमत बढ़ जाती है
लेकिन मनुष्य के सड़क पर होने से 
उसकी क़ीमत इतनी घट जाती है
कि वह मनुष्य ही नहीं रहता, उनकी नज़र में
जो प्रभु की संतान हैं!”

गोलेंद्र पटेल - चंदौली (उत्तर प्रदेश)

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