अनुराधा सिंह - नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
जब ख़ुद से मेरी पहचान हो - कविता - अनुराधा सिंह
गुरुवार, दिसंबर 12, 2024
अतीत की गहराइयों में
ज़िंदगी के गोपनीय चेहरों को चूम
न जाने कितने सवालों के जवाब पूछे
नश्वर शरीर के नश्वर रिश्ते
ज़िंदगी भी ख़्वाबों के ख़्यालों में
कभी पूजा या अनुष्ठान
दान दक्षिणा से भी संभालना चाहा
मानस पटल पर एक कौतूहल पाया
ऐ ख़ुदा तू है तो दयालु वो रहमत बख़्शी
मै इस इंतज़ार में हूँ जब ख़ुद से मेरी पहचान हो।
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