कई रास्ते - कविता - प्रवीन 'पथिक'
शनिवार, दिसंबर 21, 2024
कई रास्ते फूटते हैं;
जीवन के उत्स से।
कहीं कोयल मधुर राग छेड़ती है,
तो कहीं घुप्प अंधेरा।
कहीं झरनों का सुंदर संगीत है;
तो कहीं झिंगुरों की कर्ण भेदी स्वर।
इन सबके मध्य से–
गुज़रना पड़ता है एक आदमी को।
एक नदी!
जो निरंतर प्रवाहित हो;
बहती है अपनी धुन में।
और सागर में मिलकर
खो देती अपना अस्तित्व।
एक आदमी भी!
जीवन के रंगमंच पर
आजीवन अभिनय करता हुआ,
खो जाता है अतीत के पन्नों में।
जहाॅं उसकी स्मृति
शेष रह जाती है।
या रह जाती तो
बस! एक धुँधली छाया;
जो जीवन के अंतिम क्षणों तक
कभी पीछा नहीं छोड़ती।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर