नए वर्ष में - कविता - सुशील शर्मा

नए वर्ष में - कविता - सुशील शर्मा | New Year Hindi Kavita - Naye Varsh Mein - Sushil Sharma. Hindi Poem On New Year. नए वर्ष पर कविता
इस नए वर्ष में
मिट जाएँ चिंता की सारी लकीरें
उतर जाएँ हृदय के सारे बोझ
नए वर्ष का सूरज
तुम्हारे आँगन में उतारे
आशाओं की रश्मियाँ।

न पा सके बीते वर्ष में तुम
जो आकांक्षाएँ रह गईं अधूरी 
नए वर्ष का सूरज दे 
तुम्हें वह पुरुषार्थ, वे सत्कर्म
कि पा सको तुम सब कुछ।

नए वर्ष में लगाना एक पौधा
नए रिश्तों का
जिसको
विश्वास की मिट्टी में रोपना
अपनापन का खाद देकर
नेह के नीर का करना सिंचन।

नए वर्ष में देना विचारों को
नए आयाम
जीवन की आधार भूमि पर
कर्तव्यों का सृजन हो
सत्य के आकाश पर
अंतस की शुद्ध अभिव्यक्ति हो।

नए वर्ष में जीवन
की परिलब्धियों
के लेखें से निकाल देना
अपने ऊँचे होने का अहंकार
और शामिल कर लेना
उन सबकी कृतज्ञता
जिनके संबल से तुम ऊपर पहुँचे हो।

मत भरना नए साल में
मन में पुराना कबाड़
उतार देना खूँटी से
फटे कपड़े
फेंक देना अंगूठे पर से
फटे मौजे
अपने क़दमों को पहना देना
नई उमंगों की चप्पलें
जो ले जा सकें
आशाओं की पगडंडियों पर निर्बाध।

नए वर्ष पर निकाल लेना
बचपन की धूल भरी संदूक से
उन श्वेत श्याम तस्वीरों को
जिनमें गाँव के आँगन में
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ और
सजीले मूंछों वाले बाबूजी
रौबदार दादाजी
गायों को चारा डालती दादी
स्नेहिल कक्का काकी
मित्रों के साथ धूल में खेलता बचपन।
नए वर्ष में टाँग लेना इन तस्वीरों को
अपने निस्तब्ध कमरे में।

नए वर्ष की स्निग्ध रश्मियों में
भूल जाओ पिछले वर्ष के
सभी गिले शिकवे
जो गल रहें हैं 
तुम्हारे व्यथित हृदय में।
कर सको क्षमा उन सारी
अभिव्यक्तियों को
जो तुम्हारे विरुद्ध थीं।

नए वर्ष में काट कर 
बाहर आ जाना मोबाइल के
अंतर्जाल को
जिसमें गूँगी अभिव्यक्ति में
सर्द हो गई है रिश्तों की गर्माहट
जुड़ जाना किताबों की दुनिया से
जहाँ पर ज्ञान का कोश
मुखर होता है मेधामय अभिव्यक्ति से।

इस नए वर्ष में उन आत्माओं को
देना श्रद्धांजलि
जो पा न सके विदेश में बसे
अपने पुत्र से 
कपाल क्रिया।

नए वर्ष में पढ़ा देना
टाट पट्टी पर बैठे उस विद्यार्थी को
जिसके सपनों में
अपने मज़दूर बाप से थोड़ा 
अच्छा बनने के सपने हैं

छोड़ देना
वो सभी आदतें जो
तुम्हें इंसान बनने से रोकती हों
छोड़ देना वो पथ
जिस पर दूसरों के सपने
कुचल कर महान बनने की लिप्सा हो।

नए वर्ष में विगत वर्ष के प्रति
कृतज्ञ होना मत भूलना
क्योंकि इसने तुमको दिए हैं
वो अनुभव
जिनकी पीठ पर चढ़ कर
तुम देख पाए हो स्वयं को
दुनिया के आईने में।

नए वर्ष में तुम चढ़ना 
सफलता के घोड़ों पर
निर्बाध
सिद्धि प्रसिद्धि समृद्धि
के अविरल पथ पर
अपने को तलाश कर
गगन को छूना है
नए वर्ष में।

सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos