रुकना तेरा अंत नहीं है - कविता - रूशदा नाज़

रुकना तेरा अंत नहीं है - कविता - रूशदा नाज़ | Hindi Prerak Kavita - Rukna Tera Ant Nahin Hai - Rushda Naaz. Hindi Poem On Life. जीवन पर कविता
सपने को उस ऊँचाइयों तक देखा था मैंने,
खग को उड़ते देखा था,
पंछियों की भाँति उड़ान भरना चाहते दूर तलक फिर,
निराशाओं ने मुझे ऐसा घेरा
भीतर की आवाज़ ने झकझोंरा
रुकना तेरा अंत नहीं हैं
चल उठ नई दिशा को हो लें
पतझड़ के मौसम बीत गए
शाखाओं पर नए पत्ते आए
सभी ख़ुशियों से भरे, ऊर्जावान है दिखते
अंधियारा चीरता हुआ सूर्य निकला
मेरे लिए उत्साह भरा सवेरा
जीवन में नया रंग भरा
निराशाओं पर लगाए पूर्ण विराम
भीतर की आवाज़ ने झकझोंरा
रुकना तेरा अंत नहीं है
चल उठ नई दिशा को हो लें


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos