हूँ लाल इस माटी का - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'

हूँ लाल इस माटी का - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' | Deshbhakti Geet - Hoon Laal Is Maatee Kaa. देशभक्ति गीत
मातृभूमि की ख़ातिर, हाँ कुछ भी कर जाऊँगा।
रहा अब तक था बेनामी, शान वतन की बढ़ाऊँगा।
बनके काल रिपुदल का, पताका तिरंगा फहराऊँगा।
हूँ लाल इस माटी का, हाँ माटी का क़र्ज़ चुकाऊँगा॥

जला के अचल दीप शौर्य का, हरपल मुस्काऊँगा।
हैं देह वज्र, प्रण अटल, ना ख़ुदको रोक पाऊँगा।
बहुत हुई हस्ती मेरी, अब काम वतन के आऊँगा।
हूँ लाल इस माटी का, हाँ माटी का क़र्ज़ चुकाऊँगा॥

ऐ वतन की सौंधी-सी मिट्टी, गुणगान तेरा ही गाऊँगा।
हुँकार  लगा के समर यज्ञ में, आहुति देता जाऊँगा।
सुन हिंद की ऐ ज़मीं, मैं कहीं गया नहीं, मैं कहाँ जाऊँगा।
हूँ लाल इस माटी का, हाँ माटी का क़र्ज़ चुकाऊँगा॥

हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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