मेरे दिल की बस्ती में - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
मंगलवार, जनवरी 14, 2025
फ़ुर्सत हो तो आ जाना तुम मेरे दिल की बस्ती में।
मैं राही हूँ बहारों का तुम बैठ जाना मेरी कश्ती में।
मेरे दिल की बस्ती में
मधुर तराने गीत सुहाने जो कर देंगे मदहोश तुझे।
छंदों की बौछारें बरसे दिला देंगे नया जोश तुझे।
कलम का जादू छा जाए तेरी ख़ूबसूरत हस्ती पे।
दखल ना पड़ जाए कहीं ऊँची शान परस्ती में।
मेरे दिल की बस्ती में
मस्त-मस्त बहारें बहती है भावों की बहती धारा।
काव्य की फुहारें भावन बजे गीतो का इकतारा।
भावों की लहरें उठती है मन में हँसती-हँसती रे।
आओ हाल सुनाएँ तुमको मनमयूरा की मस्ती रे।
मेरे दिल की बस्ती में
ख़ूब महकते पुष्प खिलेंगे प्रीत की रसधार मिले।
खिले-खिले पुष्प यहाँ पर सुंदर सा संसार मिले।
ख़्वाब सजीले मनभावन तमन्नाएँ मिले सस्ती में।
राजमहल सा दिल हमारा आकर देखो बस्ती में।
मेरे दिल की बस्ती में
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