साजन आ जाओ - गीत - सुशील कुमार
मंगलवार, जनवरी 28, 2025
लगे इक, दिन है बरस हज़ार
कि साजन आ जाओ एक बार
होठ की लाली कान का झुमका यौवन भरी हिलोरे
साजन तेरे बिना ये सारा फीका है शृंगार
कि साजन आ जाओ इक बार...
रातें काल कोठरी जैसी दिन है रात अमावस
होठों पर मरुथल का बसेरा, आखों में है पावस
तन मन बिकल हुआ है सारा, टेर-टेर कर तुमको
ख़ुद को धीर बॅंधा लेती पर बच्चों का मन बेबस
बच्चों हित उपहार सजन थे होली में जो लाए
देख-देख उपहार वही फिर रो देते हर बार
कि साजन आ जाओ...
यशुदा माँ की डबडब अंखिया अब भी पंथ निहारे
बहन द्रोपदी थाल सजाए खड़ी हुई है द्वारे
वही रूप है वही रंग है वही साज है सारे
कहाँ गए हो प्रियतम प्यारे लेकर साथ बहारे
हे छलिये अब तुम्ही कहो हम किससे बिरह सुनाए
टेर-टेर कर तुमको प्रियतम अधर गए हैं हार
कि साजन आ जाओ...
छोटा मुन्ना तस्वीर देखकर गुमसुम सा रहता है
सरहद पर जाने को मुझसे हरदम जिद करता है
पापा के जैसे ही तन पर वर्दी को धारुँगा
मातृभूमि के सारे दुश्मन को चुन चुन कर मारूँगा
हाय हमारा जियरा प्रियतम धीर नहीं अब धरता
कहता बिन प्रतिकार पिता के जीना है धिक्कार
कि साजन आ जाओ...
लगे इक, दिन है बरस हज़ार
कि साजन आ जाओ एक बार
होठ की लाली कान का झुमका यौवन भरी हिलोरे
साजन तेरे बिना ये सारा फीका है शृंगार
कि साजन आ जाओ इक बार...
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर