बेहतर प्रतिदिन - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'

बेहतर प्रतिदिन - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू' | Hindi Kavita - Behtar Pratidin. Hindi Motivational Poem, प्रेरक कविता
बढ़ो और चमको
हो सके तो उन्नति लाओ
जीवन का पाठ निरन्तर स्मरण
दिलाता रहे,
हम चट्टान से खोदे गए हैं
आकार देने का काम शुरू हो चुका है
धीमा और दर्द भरा है।
ईश्वर एक शिल्पकार
कोई ग़लती नहीं करता
हम उसके शक्तिशाली हाथों में समर्पित रहें।
हो सकता है मार्ग धीमा हो,
पथरीला हो,
अपना धैर्य न खोएँ,
अंत महिमामय होगा।
एक आँख ऐसी है जो रात को सोती नहीं,
कान ऐसे हैं जो हर पल सुनते हैं,
एक बाँह ऐसी है जो कभी थकती नहीं,
एक प्रेम ऐसा है जो कभी समाप्त नहीं होता।
आप प्रतिदिन बेहतर होते जाएँगें॥

 महेन्द्र 'अटकलपच्चू' - ललितपुर (उत्तर प्रदेश)

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