राजू वर्मा - अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
जीवन की फिर नई किरण है - कविता - राजू वर्मा
सोमवार, जनवरी 13, 2025
जीवन की फिर नई किरण है,
कुछ कामयाबी के सपने हैं,
हर दिन संघर्ष भरा है,
राहों में कुछ अपने हैं,
गिर कर चलना चलकर गिरना,
जीवन की बस राह यही है,
चुनौतियों की बारिश में अब
दिख रही फिर नई किरण है
दिख रही फिर नई किरण है।
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