मैं चिल्लाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

मैं चिल्लाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Main Chillaaya - Hemant Kumar Sharma
मैं चिल्लाया।
उसने कहा चुप क्यों है।
मैं चुप रहा
उसने कहा इतना बोलता क्यों है।

फिर किसी मज़ार को चादर मिली,
शायद कोई दुआ क़ुबूल हुई।
वह ठंड से ठिठुरा रहा था सारी रात,
किसी ने कहा तू तोलता क्यों है।

शाम-सी आज दोपहर हो गई,
शाम को कोहरा हड़प लेगा।
उठेगा बीज अंकुर बन कर,
पेड़ तू इतना डोलता क्यों है।

बात आगे की फिर न होगी,
कह गया था कल वह।
आज फ़ोन पर दस मिस्डकॉल,
व्यर्थ मुँह से तीर छोड़ता क्यों है।


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