अभिषेक शुक्ल - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)
नया साल - कविता - अभिषेक शुक्ल
बुधवार, जनवरी 01, 2025
31 की मध्यरात्रि को घण्टे-मिनट-सेकंड तीनों सूइयाँ मिलकर
घड़ी के 12 की तरफ़ इंगित होंगी,
टूट जाएगा 24 का ग़ुरूर
25 की आँधी धूमिल कर देगी 24 की यादों को
बीत जाएगा पुराना साल!
दिल में दफ़न हो जाएँगे पुराने ख़्वाब
बहुत ख़्वाब टूटे, कुछ हक़ीक़त में बदल गए
कुछ चेहरे अच्छे लगे,
तो कुछ दिल से उतर गए
अलविदा इस पुराने साल को
आने वाले साल में नए ख़्वाब देखेंगे
ख़ुदा! हर तन्हा दिल को संबल कर दे
दिल में बसी हर मुराद मुकम्मल कर दे!
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