सच - कविता - संजय राजभर 'समित'

सच - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Sach - Sanjay Rajbhar Samit. सच पर कविता
सच क्या है 
जो गणितीय या रासायनिक प्रकृति
के अनुरूप है
या फिर
लोक व्यवहार की आँच पर
यथोचित,
धर्म युक्त मानवीय व्यवहार है।

दो और दो मिलकर
चार होता है
क्या यह सच है?
शायद नहीं 
जब इंसान
धरती से आगे बढ़ेगा
यह गणितीय अंक
गौड़ होंगे।

क्या मौत सच है 
शायद नहीं 
विज्ञान की पराकाष्ठा अभी बाक़ी है।

फिर सच क्या है
एक अल्पकालीन विचार है।


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