शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)
सपथ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
रविवार, जनवरी 26, 2025
सपथ आज गणतंत्र दिवस पर
गाएँ गौरव गान तुम्हारा।
मातृभूमि तुम अमर रहोगी
जब तक गंगा-यमुना धारा।
और अचल हिमगिरि सा उन्नत
जब तक ज्योतित ध्रुवतारा।
हाथ तिरंगा वन्देमातरम
का उद्घोष यही नारा।
बलिदानों की चली श्रंखला
सुन माता का आमंत्रण।
कोटि-कोटि पग बढ़े पंथ में
अरि में अविरल हृदकंपन।
जय जय जय जय भारत माता
गूंज उठा गगनांगन सारा।
भारत माता के सेनानी
तुम ही भारत माँ के प्राण।
गिरि गह्वर कंटक वन बढ़ते
देते भारत माँ को त्राण।
आज तुम्हारे संबल पर ही
नहीं 'अंशुमाली' हारा।
जै हिंद, जय भारत माता!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर