सपथ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

सपथ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Republic Day Kavita - Sapath. Republic Day Poem Hindi. गणतंत्र दिवस पर कविता
सपथ आज गणतंत्र दिवस पर
गाएँ गौरव गान तुम्हारा।

मातृभूमि तुम अमर रहोगी
जब तक गंगा-यमुना धारा।
और अचल हिमगिरि सा उन्नत
जब तक ज्योतित ध्रुवतारा।

हाथ तिरंगा वन्देमातरम
का उद्घोष यही नारा।

बलिदानों की चली श्रंखला
सुन माता का आमंत्रण।
कोटि-कोटि पग बढ़े पंथ में
अरि में अविरल हृदकंपन।

जय जय जय जय भारत माता
गूंज उठा गगनांगन सारा।

भारत माता के सेनानी
तुम ही भारत माँ के प्राण।
गिरि गह्वर कंटक वन बढ़ते
देते भारत माँ को त्राण।

आज तुम्हारे संबल पर ही
नहीं 'अंशुमाली' हारा।

जै हिंद, जय भारत माता!

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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