तुम कहो तो सही - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
शुक्रवार, जनवरी 03, 2025
हम सँवर जाएँगे,
तुम कहो तो सही।
गीत रच जाएँगे,
तुम सुनो तो सही।
हम पिघल जाएँगे,
तुम छुओ तो सही।
ख़ुद को खो देंगे,
तुम रुको तो सही।
प्रेम के आँगन में,
दीप जलते रहें।
शब्द बहते रहें,
स्वप्न पलते रहें।
चाँदनी रातों में,
साथ चलते रहें।
साँस की डोर में,
प्रेम सजते रहें।
हम बहक जाएँगे,
तुम जो छू लो ज़रा।
हर क़दम थम जाएँगे,
तुम रुक जाओ ज़रा।
दूरियाँ मिट जाएँ,
पास आओ ज़रा।
दिल में बसी हो तुम,
ये जताओ ज़रा।
हम बिखर जाएँगे,
तुम जो रूठे कभी।
फिर सँवर जाएँगे,
तुम जो चाहो अभी।
हम निखर जाएँगे,
तुम हँसो तो सही।
साथ चल देंगे हम,
तुम चलो तो सही।
हम सँवर जाएँगे,
तुम कहो तो सही।
गीत रच जाएँगे,
तुम सुनो तो सही।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर