तुम कहो तो सही - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव

तुम कहो तो सही - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | Hindi Kavita - Tum Kaho To Sahi | प्रेम पर कविता
हम सँवर जाएँगे,
तुम कहो तो सही।
गीत रच जाएँगे,
तुम सुनो तो सही।

हम पिघल जाएँगे,
तुम छुओ तो सही।
ख़ुद को खो देंगे,
तुम रुको तो सही।

प्रेम के आँगन में,
दीप जलते रहें।
शब्द बहते रहें,
स्वप्न पलते रहें।

चाँदनी रातों में,
साथ चलते रहें।
साँस की डोर में,
प्रेम सजते रहें।

हम बहक जाएँगे,
तुम जो छू लो ज़रा।
हर क़दम थम जाएँगे,
तुम रुक जाओ ज़रा।

दूरियाँ मिट जाएँ,
पास आओ ज़रा।
दिल में बसी हो तुम,
ये जताओ ज़रा।

हम बिखर जाएँगे,
तुम जो रूठे कभी।
फिर सँवर जाएँगे,
तुम जो चाहो अभी।

हम निखर जाएँगे,
तुम हँसो तो सही।
साथ चल देंगे हम,
तुम चलो तो सही।

हम सँवर जाएँगे,
तुम कहो तो सही।
गीत रच जाएँगे,
तुम सुनो तो सही।


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