तुम्हारी तस्वीर - कविता - शुभोदीप चट्टोपाध्याय

तुम्हारी तस्वीर - कविता - शुभोदीप चट्टोपाध्याय | Prem Kavita - Tumhari Tasvir | प्रेम पर कविता, Hindi Poem On Love
विद्रोह के ज़माने में
मैं जब भी अपने
कलम से प्रेम
लिखने को कहता था
उसकी नसे सिकुड़ जाती थी।

तब कलम को प्रोत्साहन
और हृदय को चेतना
देने के लिए
तुम्हारी तस्वीर का सहारा
ले लिया करता हूँ।

सवाल ज़रूर उठने चाहिए
आख़िर तुम्हारी ही तस्वीर क्यों
तुम मेरी प्रेमिका तो नहीं,
न ही मेरी संगिनी हो।
सच कहूँ तो इसका
जवाब ढूँढ़ने की कोशिश
मैंने भी कभी नहीं की।

तस्वीर को देखते ही
कलम के कानो में
कोई मंत्र फूँक देता हूँ
और जब दुनिया उसे पढ़ती है
तब वो उसे काव्य कहती है।

प्रेम, काव्य ये क्या है और वो तुम में क्यों है
मुझे मालूम नहीं
मैं बस तुम्हारी तस्वीर देखता हूँ,
देखता हूँ, तुमहरी बनावटी होंठो को
लाल लिपस्टिक से रंगे
और जब उस लिपस्टिक के परे देखता हूँ
तब दिखते है तुम्हारे मर्म, मूल, कोमल गुलाबी होंठ,
अनछुए अनजाने तुम्हारे गुलाबी होंठ
बिलकुल किसी क्रांतिकारी कि तरह
जो अपने आंदोलन से पहले प्रेमी हुआ करता होगा
शांत, कोमल, प्रेम से भरा हुआ;
मगर समाज के कंपित कर देने वाले शोर ने
उसे क्रांतिकारी बना दिया,
और उसने अपने कोमल गुलाबी प्रेम को
लाल रंग से भर दिया।
शायद इसलिए कहते है प्यार का रंग लाल है।

और तुम्हारी वो आँखे
आँखे बच्चो के खेलघर की तरह
चंचल, अठखेलियों करने वाली;
तुम अपनी आँखों से भीषण प्रेम का प्रकाश
फेंकती हो अपने सभी चाहने वालो की तरफ़
जिससे उनकी आँखें चौंधिया जाती है
और उन्हें तुम्हारी आँखो में
सिर्फ़ ख़ुदका प्रेम ही नज़र आता है;
मैंने हर बार उस रौशनी को चीर
तुम्हारी आँखो से उतर कर आत्मा तक
जाने कि कोशिश की है
पर हर बार प्रकाश को पार कर मैं
तुम्हारे आँखों के समक्ष आके सिर्फ़ खड़ा 
रह जाता हूँ,
आत्मा तक पहुँचने में नाकामयाब हूँ,
और नाकामयाब हूँ जानने में कि तुम्हारा
प्रेम किसकी आँखों में दिखता होगा
तुम्हारा प्रेम कैसा होगा।

क्या तुम भी मेरी ही तरह हो
या एक प्रेमी हो
या एक आशिक़ हो तुम भी,
या इन सबसे भिन्न तुम
किसी की संगिनी हो॥

शुभोदीप चट्टोपाध्याय - धनबाद (झारखण्ड)

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