उस रात - कविता - पंकज देवांगन

उस रात - कविता - पंकज देवांगन | Hindi Kavita - Main Chillaaya - Pankaj Dewangan
उस रात अजीब सा नज़ारा देखा
मैंने
आसमान सूना है
चाँद उदास कहीं बैठा है
बिना चाँदनी के
बेरौनक
तारे मुँह लटकाए एक दूसरे
को सिर्फ़ ताक रहे है
रात के समय कालिमा अपनी
चादर से सभी चीज़ों को
छुपा रही है
शब्द आपस मे संवाद नहीं
कर रहें
पानी की कलकल की आवाज़
सन्नाटों के बीच अबोध बच्चों की
तरह खेल रही है
उजाला प्रतीक्षा कर रहा है
रश्मियों के आने की
जीवन किसी ओट में दुबक
बैठा है
नए आयाम की तलाश करने

पंकज देवांगन - रायपुर (छत्तीसगढ़)

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