राजू वर्मा - अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
यह कुंभ यह स्वाभिमान है - कविता - राजू वर्मा
मंगलवार, जनवरी 28, 2025
यह कुंभ यह स्वाभिमान है,
ये सनातन संस्कृति और ज्ञान का विस्तार है,
जहाँ पर दिखती मोक्ष की धारा,
जहाँ पर बसती त्याग की ज्वाला,
जहाँ संस्कृति फिर उज्जवल होती,
जहाँ नरमस्तक ये विश्व सारा,
जहाँ नरमस्तक ये विश्व सारा।
यह कुंभ स्वाभिमान की धारा है,
यह कुंभ स्वाभिमान की धारा है।
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