बुद्धि विवेक सृजन की देवी - गीत - उमेश यादव

बुद्धि विवेक सृजन की देवी - गीत - उमेश यादव | Maa Sarswati Geet - Buddhi Vivek Srijan Ki Devi - Umesh Yadav. माँ सरस्वती पर गीत/कविता
बुद्धि विवेक सृजन की देवी, ज्ञान का विस्तार है।
प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, आपकी जय जय कार है॥

नवयुग की अरुणोदय वेला,
नवल सृजन का शंख बजा है।
नूतन युग में नवल जागरण,
कलश ज्योति से जगत सजा है॥
वेला नव्य विहान प्रकाशित, सवितामय संसार है।
प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, तेरी जय जय कार है॥

वीणा की झंकार अलौकिक,
गीत संगीत साहित्य मनभावन।
पीत पुष्प परिधान भी पीले,
भक्तिमय संसार सुपावन॥
साधक का समर्पण अर्चन, ज्ञान ज्योति उजियार है।
प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, आपकी जय जय कार है॥

विहग विश्व में दिव्य गान गा,
नवयुग का आभाष दे रहे।
ज्योति कलश की दिव्य रश्मियाँ,
जग को नया प्रकाश दे रहे॥
परिवर्तन की दिव्य ज्योति से बदल रहा संसार है।
प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, आपकी जय जय कार है॥
 
जन-जन के मन में बासन्ती,
उमंग और उल्लास छा रहा।
माँ की जनम शताब्दी आई,
चित भक्तिमय गान गा रहा॥
नवल सृजन का शंख बज गया, बासन्ती बहार है।
प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, आपकी जय जय कार है॥


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