प्रेम कोई व्यापार नहीं है - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
गुरुवार, फ़रवरी 13, 2025
प्रेम कोई व्यापार नहीं है, अन्तर्मन का भावामृत है।
निर्मल शीतल गूंजित हियतल, आँखों में भाव सृजित है।
तन मन धन अर्पण जीवन पल, नव वसन्त मधुमास चमन है।
अनमोल अगम विभव प्रेम रस, यथा इष्ट हो प्रेम ग्रहण है।
क्षमा दया करुणार्द्र चरित रस, सप्तसिन्धु अविरल प्रवाह है।
गंगाजल सम पावन निर्मल अपनापन जलधार चाह है।
करे हृदय मृदुभाष सुधामय, निश्छल रिश्तों का संगम है।
राग द्वेष छल कपट विरत दिल प्रेमाञ्जलि उद्भास सुगम है।
चारु शब्द ढाई आखर स्वर भक्ति शक्ति हिय मधुर मिलन है।
मानवता उद्रेक मधुरतम कोमलता सम किसलय दल है।
प्रेमगंध वासन्तिक सुरभित नव उड़ान हिय नीलांचल है।
सत रंगों से सजा प्रेम दिल नव विहान आलोकित मन है।
अरुणिम आभान्वित मृदुता हिय, प्रकृति मनुज शृंगार चमन है।
प्रेम कोष नित सुलभ सरल जन लेन देन बिन मोल सुलभ है।
दीन धनी राजा जनता सब जित चाहे वे प्रेम विभव है।
बस में सब जग प्रेम पाश में अरिदल दारुण प्रेम विवश है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर