आकर्षण पर प्रेम की कविता - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
गुरुवार, फ़रवरी 13, 2025
उसे आकर्षित करने के लिए
मैंने एक शब्द लिखा 'मुक्ति'
उसने अस्वीकार कर दिया
दूसरा शब्द लिखा 'विश्वास'
उसकी आँखे करुणा से भींग गई
तीसरा शब्द लिखा 'समर्पण'
और वह कुंठित हो उठी
अब मैं उदास हुआ
वह मायूसी में बोली–
तुमने 'प्रेम' नहीं लिखा
मैं सोच रहा हूँ
क्या प्रेम की कविता लिखना इतना आसान है?
मेरे समकालीन कवियों
कोई तो बताओ
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