बसंत का आगमन - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव

बसंत का आगमन - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | Vasant Kavita - Basant Ka Aagaman | बसन्त ऋतु पर कविता, Hindi Poem on Spring Season
जब मधुमास की मधुर गंध है बिखरती,
वन-वन, उपवन, भूमि मुस्कान से संवरती।
सरसों के खेतों में चंपई झलक है,
धरती की चुनरी पर किरणों की महक है।

पुष्पित हैं अमराइयों के नव अंकुर,
मधुप गा रहे सुमन-मधु के मीठे सुर।
कोयल की तान से गूँजे अम्बर,
प्रकृति का साज बनता है सुंदर।

पवन भी बहती जैसे मृदु वीणा तार,
नव जीवन का यह उल्लास अपार।
मृग छौनों के संग खेलती हैं दिशाएँ,
मानव मन में नई चेतना जगाएँ।

नील गगन में उड़ते खगों के झुंड,
मानो नभ का रंग भरा हो अनगिन गुण।
शीतल जलधाराएँ कर रहीं नर्तन,
कंकरीट में भी जागे वनों का स्पंदन।

धरती मुस्काए, नभ ने गाया गीत,
रंगों के संग लिपटे मधुमय संगीत।
प्रकृति का उत्सव यह अनुपम उपहार,
जीवन को कर दे नवसृजन के तैयार।

हे मानव, इस ऋतु का सम्मान करो,
हरित भाव से धरा का शृंगार करो।
बसंत की बांसुरी है प्रेम का राग,
सुनो इसकी धुन, भर लो आनंद का भाग।


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