चलो दोस्ती कर लें - कविता - निर्मल कुमार गुप्ता

चलो दोस्ती कर लें - कविता - निर्मल कुमार गुप्ता | Hindi Kavita - Chalo Dosti Kar Len - Nirmal Kumar
चलो दोस्ती कर लें।
द्बेष-भाव में,क्या रक्खा है?
क्यूँ न, गुफ़्तुगू कर लें।
चंद दिन की, ज़िंदगी में,
फिर से कुछ, मस्ती कर लें।
नफ़रत में, जीना भी क्या?
हमसफ़र चलो, बंदगी कर लें।
प्रेम का आग़ोश पाकर,
नफ़रत शर्मा जाती है।
प्रेम की बगिया में, बहारें,
खिलखिलाती हैं।
चलो दोस्ती कर लें।
द्बेष-भाव में, क्या रक्खा है?
क्यूँ न, गुफ़्तुगू कर लें।

निर्मल कुमार गुप्ता - सीतापुर (उत्तर प्रदेश)

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