एहसास - कविता - डॉ॰ कुमार विनोद

एहसास - कविता - डॉ॰ कुमार विनोद | Hindi Kavita - Ehsaas. Hindi Poem On Holi | एहसास पर हिन्दी कविता
एक बूढ़ी स्त्री ने 
जब अपनी दवा की पर्ची के साथ
अपने बेटे के तरफ़
एक मुड़ा-तुड़ा नोट भी बढ़ाया
तो अहसास हुआ
कि ये दुनिया
वाक़ई बीमार है...!
और तब उसे उस बूढ़ी माँ के
साड़ी के कोने का अक्षय भण्डार वाले
नोट गठियाते
खूँटे का एहसास हुआ...
उसे अपने दादी के
खूँटे में बँधे
उलटे-पलटे
उन नोटों में
एक पूरा बैंक है
उसकी आर्थिक
सम्पन्नता,
सम्बन्धो की उष्मा
के साथ
आत्मस्वाभिमान
का भी
एहसास हुआ।


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