कहाँ जाना है? - कविता - संजय राजभर 'समित'
बुधवार, फ़रवरी 26, 2025
अब मुझे अच्छा लगता है
अकेलेपन से।
मेरे साथी हैं
टूटी-फूटी छप्पर
बढ़े बाल-दाढ़ी
मटमैले कपड़े
रूखी-सूखी रोटियाॅं
और अपनी कल्पनाएँ,
चिंतन के अथाह सागर में
मौज से डूबकी लेती हुई
बेसुध!
एक लेखनी
अब मुझे अच्छा लगता है।
कोई इस दुनिया से
न टोके न मेरी तंद्रा तोड़े
अब मुझे अच्छा लगता है।
बहते जाना है
अपनी मस्ती में
कहाॅं?
पता नहीं!
पर आनंद साथ है तो
जाना कहाँ है
किसे परवाह।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर