राजेन्द्र कुमार मंडल - सुपौल (बिहार)
न हो आशाएँ, जहाँ न हो विश्वास - कविता - राजेन्द्र कुमार मंडल
सोमवार, फ़रवरी 10, 2025
न हो आशाएँ, जहाँ न हो विश्वास,
न उन्माद जीवन में फिर क्या आभास?
ध्येय अगर जीवन की हो मोक्ष प्राप्ति की,
हे प्राणी कर्मगुणी, त्याग मोह माया संगति की।
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