निराशा - कविता - सुरेन्द्र जिन्सी

निराशा - कविता - सुरेन्द्र जिन्सी | Hindi Kavita - Nirasha - Surendra Zinsi | निराशा पर कविता
निराशा के लिए
एक शब्दकोश है,

उसकी
ध्वनियाँ नुकीली हैं,

उसकी
लय असंगत है।

और फिर भी,
उसके कोलाहल में भी,
मुझे सांत्वना का आभास मिलता है

एक
शोकपूर्ण सामंजस्य
जो मुझे याद दिलाता है
कि मैं
घायल और साक्षी दोनों हूँ,
निर्वासन और घर दोनों हूँ।

सुरेन्द्र जिन्सी - नई दिल्ली (दिल्ली)

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