निराशा - कविता - सुरेन्द्र जिन्सी
रविवार, फ़रवरी 16, 2025
निराशा के लिए
एक शब्दकोश है,
उसकी
ध्वनियाँ नुकीली हैं,
उसकी
लय असंगत है।
और फिर भी,
उसके कोलाहल में भी,
मुझे सांत्वना का आभास मिलता है
एक
शोकपूर्ण सामंजस्य
जो मुझे याद दिलाता है
कि मैं
घायल और साक्षी दोनों हूँ,
निर्वासन और घर दोनों हूँ।
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