निर्मल कुमार गुप्ता - सीतापुर (उत्तर प्रदेश)
सुन्दर बसन्त - कविता - निर्मल कुमार गुप्ता
सोमवार, फ़रवरी 03, 2025
सुन्दर बसन्त, मनभावन है,
सुन्दर किसलय और पावन है।
हर तरफ लरजती छटा निराली,
हर मन मन्दिर में, छाई ख़ुशहाली।
आज धरा का, नव शृंगार हुआ है,
मानो प्रियतम से मिलने का आगाह हुआ है।
हर तरफ़ बसंती, चोला है,
हर मनुज का, आज मन डोला है।
सुन्दर बसन्त मनभावन है,
सुन्दर किसलय और पावन है।
माँ सरस्वती का पूजा अर्पण,
चरणों में मन, कर रहा सर्वस्व समर्पण।
सुन्दर बसन्त मनभावन है,
सुन्दर किसलय और पावन है।
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