वसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ - कविता - गणपत लाल उदय

वसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ - कविता - गणपत लाल उदय | Hindi Kavita - Vasant Ritu Sarvashreshth. Hindi Poem On Spring Season | वसंत ऋतु पर कविता
यह वसंत ऋतु लाई फिर से प्यारी-सी सुगन्ध,
ये प्रकृति निभाती सबके साथ समान सम्बन्ध।
यह जीने की वस्तुएँ सभी को उपलब्ध कराती,
शुद्ध हवा एवं अमृत जल हम सबको पिलाती॥

इस प्रकृति की लीलाएँ वसुंधरा पर अपरम्पार,
ऋतुएँ है अनेक पर वसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ स्थान।
यही वसंत ऋतु धरती को हरा भरा कर जाती,
कोकिला भी छेड़ देती जिसमे कुहा-कुहू तान॥
 
दिल को छू जाता यह मस्त हवाओं का झोका,
मीठी-मीठी धूप जब सभी के ऑंगन में होता।
यह मेघराज भी उस वक्त फूलें नही है समाता,
नई कोपलें आती है और पतझड़ लग जाता॥

खेत-खलिहान कृषक के हृदय ख़ुशियाँ आती,
पीली सरसों खेत में जब खड़ी-खड़ी लहराती।
पीले फूलों की दुनिया व गीतों का यह आलम,
यह हरियाली तो केवल वसन्त ऋतु मे आती॥

हर-साल यही मौसम जीवन में ख़ुशियाँ लाता,
बेसब्री से इन्तज़ार सब इन्सान इसका करता।
जब कि वसंत-ऋतु कम समय के लिए रहता,
पर यही वक्त हम सबको बहुत कुछ सिखाता॥


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