वसंत ऋतू - कविता - सुनीता प्रशांत

वसंत ऋतू - कविता - सुनीता प्रशांत | Hindi Kavita - Vasant Ritu - Sunita Prasant. Hindi Poem On Spring Season. वसंत ऋतु पर कविता
हुई है कुछ आहट-सी
रुन झुन करती आई हवा
जागी है कोई उमंग-सी
गगन भी है मुसकाया
पीत वसन धरे धरा ने
कलियों से शृंगार किया
भ्रमर, पपिहा लगे गुनगुनाने
कोकील ने पंचम सुर लगाया
डोल रही खेतों में बाली
पंछी कर रहे कलरव गान
नव सर्जन में सजी प्रकृति
सुनहरे परिधान में आया विहान
हुए सुरभित वन उपवन
निसर्ग है भरमाया
इला का लिए ये स्वरूप
ऋतु वसंत देखो आया
फागुन खड़ा चौखट पर
मानव मन हर्षाया 
हर्षोल्लास का संदेश लेकर
वसंत उत्सव आया।


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