वो भावनाओं का समन्दर - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'

वो भावनाओं का समन्दर - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना' | Hindi Kavita - Wo Bhavnaao Ka Samandar - Seema Sharma | भावनाओं पर कविता, Hindi Poem on Feeling
कभी-कभी बहुत मुश्किल होता है,
वह सब कुछ कह पाना, जो
इस मन के भीतर रहकर
अनायास ही शोर मचाता है।
होता है कभी बहुत व्याकुल
और कभी-कभी होकर अस्थिर
उमड़कर जाने क्यूँ वह पगला बस!
आने को बाहर छटपटाता है।
रह-रह किया करता बेचैन
इस मन को और फिर,
न जाने कितनी ही असंख्य
भावनाओं का एक गहन सैलाब
समेटे रहता है अपने अंदर
बस! फिर होकर यह शांत-सा
फिर भी मन अशांत कर जाता है।
है वही तो मेरे व्यथित मन का स्रोत-सा
आँखो में ठहरा हुआ जो समुदर-सा है।
है जो बहने को आतुर यूँ तो, मगर!
बिखरकर बिखरने की जिसको चाह नहीं,
हो जाएगा राख शायद यूँ ही एक दिन,
बस! यूँ ही यह हृदय में पलता जाता है!

सीमा शर्मा 'तमन्ना' - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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