ईशांत त्रिपाठी - मैदानी, रीवा (मध्य प्रदेश)
समझाइश - बघेली लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
बुधवार, फ़रवरी 19, 2025
मौसी केर बियाह के उराओ म परदेस म पढ़त दीनू चार रोज़ पाछेन आइगा। चार रोज़ आगे बियाह होय का हबै पर दीनू का रौनक नहीं देखान। ओसे रहा नहीं गा त नाना से पूछिस कि जन-रिश्तदारन का बोलाय है कि नहीं। नाना कहिन लल्लि रे! सबका कार्ड दीन्ह हबै, दुइ दुइ बेर फोन कीहेन हेन फेरौ नहीं आएँ आही त क करि। बिटिया के सादी कैहेन त हमिन जानब सून घर केर हल्ला। दीनू नाना केर मन क बइटिहाबै ख़ातिर दूसर बात करै लाग पर ओखर मन हैरान रहिगा कि क फुरिन य हाल गाँव घर केर आए! बियाह केर एक दिन पहिले उ मनइ आएँ जे नेग-नुगुर लेका जिगरि रहें। बियाह सुरू होइएगा। पंडितजी सुन्दर सुन्दर मंत्र बाचै लागें अउर पंडित जी केर लघे दीनू का बैठाई केर नाना दान दक्षिणा केर पैसा बाली थैली ओहिन क थमा दिहिन। य देखि केर शहरी मामा हरेन केर छाती म हिलोरी मचि गए। उन म से एकठे प्रोफेसर मामा कान भरै दीनू केर लघे आइके नकुआ बनाइन अउर झाड़िन ज्ञान कि दीनू क्या कर रहे हो यह सब। मैं जब से आया हूँ देख रहा हूँ घुसे हुए हो पूजा पाठ में, इट विल डेस्ट्रोय योर साइकोलॉजी। सेट योर गोल सम्थिंग हायर। एतने म दीनू बोल उठा-"मामा जी, आइ हेव आलरेडी हायर गोल एंड एम ट्राइंग माय बेस्ट टू अचीव दैट। मामा दीनू केर अंग्रेजी सुनै के बाद अंग्रेजी भूलिगें सिर्फ़ हिन्दी म कहिन कि तीस साल तक ख़ूब खाओ कमाओ उसके बाद पूजा पाठ करने का उम्र आएगा तब करना। बियाह केर मड़बा तरि असुभ नहीं बोला जाए ऐही से दीनू बात बंद करै ख़ातिर एतनै बोलिस कि मामा यू आर वेरी प्रेक्टिकल, आइ बिल टेक केयर आफ योर सेड थिंग्स। सूरज कैसा है? अब तो स्कूल अच्छा जा रहा है न, मैं सुना स्कूल में सिगरेट पीते पकड़ा गया तो रस्टिकेट हो गया था। य सुनतय मामा चुप्पय एकदम निकल लिहिन। दीनू सरमाइगा मनै मन कि कैसन लोग ह, ब्राह्मण होइके आचमन करे नहीं जानत आही, घर-परिवार, लोक-रीति का मानसिक बीमारी बतात ह अउर तीज-त्यौहार ख़ुशी केर नाम म दारू नसा वाले इ आदमिन केर हायर गोल बाली बात पचै नहीं। आजकल भरमार है अइसन भ्रष्ट लोगन केर जे आपन सभ्यता, भाषा अउर ज़िम्मेदारी का न निभा पाबै केर बाद इहै मेर समझाइश देत ह। इ रिश्तदारन केर कार्यक्रम म एक घंटा पहिले आए पर कारकुन्नि नहीं बंद होत लाघि आय त एक दुइ रोज़ पहिले आउते त क होत।
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