होली का त्यौहार - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
गुरुवार, मार्च 13, 2025
धर्म सनातन पर्व शुभ, होली का त्यौहार।
धवल रक्त पीला हरित, फागुन रंग बयार॥
भारत जन उल्लास मन, फागुन होली रंग।
भींगे रंगों से वदन, गुलशन दिखते अंग॥
मोहन खेले रंग से, राधा संग विलास।
रंग रंगीली गोपियाँ, अपनापन अहसास॥
मेल जोल आपस मनुज, होली शुभ संयोग।
ऊँच-नीच दुर्भावना, जले होलिका रोग॥
मिटे भेद निर्धन धनी, वैभव ज्ञान समान।
खुले भाग्य सब जन वतन, होली दे मुस्कान॥
विविध रंग बरसे सरस, लोकतंत्र परिवेश।
हरित क्रांति होली सृजित,भारत दे संदेश॥
रंगीली माँ भारती, रंजित रंग गुलाल।
फैला चहुँ उल्लास मन, दीन धनी ख़ुशहाल॥
अपनापन अहसास से, महके फागुन मास।
धर्म जाति मनभेद बिन, होली रंग मिठास॥
विविध रंग पाटल कुसुम, कुसमित चारु सुगन्ध।
गढ़े राष्ट्र की एकता, होली समरस बन्ध॥
फागुन रंगों में सना, हो होली त्यौहार।
विविध रंग समरस वतन, सनातनी उपहार॥
धर्म जाति भाषा विरत, होली पर्व महान।
सद्भावन रंजित सरस, होली का पकवान॥
नृत्य गीत संगीत स्वर, जोगीरा की धूम।
मथुरा रंजित रंग से, अवध राम पद चूम॥
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