चौधरी बिलाल - सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)
बचपन की यादें - कविता - चौधरी बिलाल
सोमवार, मार्च 17, 2025
धीरे-धीरे समय बढ़ता गया
यारों का मजमा घटता गया
कामों में हो गए सब बिजी
तक़दीर ने ऐसी माया खींची
बचपन था यारों बड़ा प्यारा
उम्र ने किया है सबको यारा
फ़ेसबुक पे दिखता ये चेहरा
लगता कमेंटों का बस पेहरा
कविता लेखन लिखे बिलाल
दर्शाता उम्र का बस मलाल
दुनिया से यूँ चले गए कितने
ज़िंदगी के रहते बस फितने
यारों की गली में फिर से चले
लगाते हैं उनको-सीने से गले
घिन को हटाकर फिर हँसते हैं
फिर से बचपने दौर में फँसते हैं
याद आएगी यारों ये जवानी
यादों में रहे जाएँ बस कहानी
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