ग़रीबी - कविता - रवि कुमार

ग़रीबी - कविता - रवि कुमार | Hindi Kavita - Gharibi. Hindi Poetry About Poor | ग़रीबी पर कविता
क्या गुज़रती होगी उनपर
जिनके भूखे पेट है लाल कई
आश लगाए, सड़क किनारे
तनपे है कपड़े फटे, पुराने
थामे कटोरा हाथ में
है नहीं कुछ खाने को।

ललक रहे है लाल भूख से
मिल जाए, कुछ भूख मिटाने को 
भूख से हारे, मन को मारे
बैठ कोने में दाने को
होती है जब शाम तो
फुटपाथ पर जाते रात बिताने को।

तेज़ हवाएँ, आँधी बारिश
आ जाते हैं, नींद चुराने को
ठंड से ठिठुरते काँपते शरीर
है नहीं दो गज कपड़ा, तन छिपाने को
उम्मीद लगाए रोए अँखियाँ
मिल जाएँ, दो पल भी सो जाने को॥

रवि कुमार - सीतामढ़ी (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos