गिद्ध - कविता - मदन लाल राज

गिद्ध - कविता - मदन लाल राज | Hindi Kavita - Giddh  - Madan Lal Raj. गिद्ध और मनुष्य पर कविता
गिद्ध, नोंचने में सिद्ध।
दूर-दूर तक प्रसिद्ध।

आजकल वह भी
सोचने लगा है। 
मुझ से अच्छा तो
आदमी नोंचने लगा है।

आकाश में अब बेचारा
लुप्त प्रायः है।
क्योंकि आदमी ही
गिद्ध का पर्याय है।

मदन लाल राज - नई दिल्ली (दिल्ली)

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